Speak out is a voice that tries to reach the right destination. It's a voice that needs to be heard. It's a voice which is driven by a feeling that things need to be changed for good of the people at large..... In a few words, Speak 0ut is an expression of me...an extension of me.........!!!
Friday, December 3, 2010
सब कुछ यहाँ पर शेष है.........!!!!
इन बंधनों में बांधकर ना खुद को तू आश्रित बना,
इक बार इनको त्यागकर तू फिर से सपनो को सजा,
जिन बंधनों ने बांधकर तुझको बनाया स्वार्थी,
तू बह गया था भाव में, भूलकर जीवन का अर्थ ही,
था भर गया अश्रु-सागर, टूटा था सबर बाँध भी ,
रोता रहा अकारण हृदय, उस सत्य- रुपी भ्रम में भी,
उठ, चल, की तू इंसान है , सीखेगा अपनी गलती से,
इंसान भी इंसान क्या जो जी सके बिन गलती के,
ना मेरी बात मान तू, बस अपने दिल की जान तू,
कुछ त्याग कर, परित्याग कर, अब तो संभल, पहचान तू,
इन अश्रुओं को रोक ले जो बह चले बिन अर्थ के,
"हम हैं तो है ये जिंदगी", अब जी भी ले इस शर्त पे,
है क्यों तू उनको खोजता, चलते रहे जो बिन तेरे,
बढ़कर तू उनको थाम ले जो अब भी तुझपे आश्रित हैं,
तू प्रेम-रुपी सत्य है, तू ही तो सर्व- श्रेष्ठ है,
विश्वास कर, अब तो समझ, सब कुछ यहाँ पर शेष है.........!!!!
-अनुभा शुक्ला
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